अंधियारे में कठिन है, गिनना अपने दाम ।।
कैसे देखें बाग को, कैसे तोड़े फूल।
अंधियारे में हाथ में, चुभ जाएंगे शूल।।
अंतर कैसे हो भला, कुत्ता लोमड़ सियार।
गलियों में कैसे चले, बना नहीं आधार।।
मोल न होता रंग का, होता है अंधियार ।
सूरज को कैसे लखें ,( देंखे) चंदा से है प्यार।।
भूत पिशाच अगर ना हो, डर नहीं आए पास।
ठगे नहीं कोई कभी, रहे न बाकी आस।।
राधे कहती मत करो, उलटफेर तुम लोग।
दिन में करलो काम को, रात नींद लो भोग।।
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Thursday 13 December 2018
दोहे, " कैसे तोड़े फूल "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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