Monday, 28 October 2019

दोहे, हरियाली " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

हरियाली 
हरियाली के साथ में ,खिलते सुन्दर फूल।
पर सबको अच्छे लगें,वह समय अनुकूल।।

जल से जीवन है बनाधरा और आकाश 
जल करता है सभी की ,जग में पूरी आस।।

गुस्सा करने से सदारिश्ते होते तार 
दो नावों में बैठकर ,कैसे होंगे पार।।

जो करते संसार मेंसबके हित के काम।
 उनका तो होता अमरयुगों युगों तक नाम।।

श्रद्धा जिनमें हो निहितवो होते त्योहार।
 आपस में करना सदाप्रेम पूर्ण व्यवहार।।

 आपाधापी में लगा , सदियों से संसार 
प्यार-प्रीत की राह में , आया है व्यापार।।

अपने-अपने गुरू परहोता सब को नाज 
गुरु की कृपा हो अगर , सुधरे सकल समाज।।

Sunday, 27 October 2019

दोहे, कर सोलह श्रँगार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

 कर सोलह श्रँगार

 बिंदिया कुमकुम से सदाचमक रहा है भाल।
 नथनी झूले नाक मेंगले स्वर्ण की माल।।

 कुंडल सजते कान मेंहोठ लाल ललचाय।
 गोरी खुद को आज तोदेख देख मुस्काए।।

 तन पर यौवन है चढ़ामन उसक इठलाय।
 खुद में गोरी सिमटतीजब साजन मिल जाय।।

 कंगन हाथों के कहेपिया सुनो ये बात।
 खनक रही क्यों चूड़ियाँ , जब होती है रात ।।

हौले से जब पग रखूं , पायल करती शोर।
 तक धड़कन को थाम करआती तेरी ओर।।

 नख में लाली है सजीबिछिया रहती मौन 
आंचल लहरा के कहेमेरे प्रियतम कौन।।

 मात-पिता की लाडलीप्रियतम का हूं प्यार।
 महल पिया के जाऊंगीकर सोलह श्रँगार।।

Saturday, 26 October 2019

गजल, "जगमग करते दीपों" (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


जगमग करते दीप
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जगमग करते दीपों से हम अपना भवन सजाएंगे
चीनी लड़ियां छोड़ वहाँ  माटी के दीए जलाएंगे।।

 हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के होते हैं पर्व बहुत।
 होली ईद और दीवाली मिलकर साथ मनाएंगे।।

 गांव शहर में दिखलाते हैं कलाकार कितने करतब।
 सर्कस ,मेला और नुमाइश जगह-जगह लगवाएंगे।।

 गंगा यमुना सरयू का तट लगता कितना मनभावन।
 मात- पिता को ले जाकर हम तीरथ यहाँ  कराएंगे।।

 मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों की भारत में भरमार है।

 रामराज्य लाकर के राधे पावन इसे बनाएंगे।।

दोहे, महामृत्युंजय मंत्र " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

 महामृत्युंजय मंत्र 
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 परम शक्ति के सामनेसारी दुनिया मौन।
 ईश्वर के सम दूसरा ,नहीं जगत में कौन।।

 रहते शिव के साथ मेंनंदी भूत पिशाच।
 भस्म लगाकर अंग मेंकरते रहते नाच ।।

तीन नेत्र उनको मिलेचंदा शोभित भाल।
 महामृत्युंजय मंत्र सेटल जाता है काल।।

रहे नहीं अब तो कहींपहले जैसे गांव।
 पेड़ काटकर ढूंढतेवट पीपल की छांव ।।

प्रभु हमारे साथ हैइस पर कर विश्वास।
 जीवन की गति देखकरहोना नहीं उदास ।।

चिड़िया ची ची ची  करें ,आई नवल प्रभात।
 बीते दिन को भूलकर ,करो आज की बात ।।

जब सूरज आता यहाँ , जगता तब इंसान।
 तन मन को तब साफ करकरना थोड़ा दान।।