Sunday 14 June 2020

दोहा छंद , मैं नारी मर्दानी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),


मैं नारी मर्दानी


भेद नहीं करना कभी, अबला सबला बोल।
मैं मर्दानी नार हूँ, मैं तो हूँ अनमोल।।1।।

पूरी होगी कामना, बेटी को दो मान।
नारी ही हरदम बनी, भारत की पहचान।।2।।

घूँघट की अब आेट को, हटा रही है नार।
नभ में भी वो उड़ रही, करती  सागर पार।।3।।

लक्ष्मी बाई की तरह, उठा रही शमशीर।
अपने हाथों खुद वही, बना रही तकदीर।।4।।

बदल रही है नार तो,अब अपनी तस्वीर।
देखो तो हर क्षेत्र में, फिरती बनकर वीर।।5।।

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