Tuesday 16 June 2020

*मनहरण घनाक्षरी* , श्रमिक " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

श्रमिक  

चर्चामंच: "कर दिया क्या आपने" (चर्चा ...
आँचल में बाँधे बाल
धूप से है मुँह लाल
ऐसी माता के राहों में
फूल तो बिछाइए

श्रम का मिले न दाम
नार करती है काम
थकी हारी नार को तो
 दाम तो दिलाइए

मजदूरी करती है
पेट सब भरती है
बेसहारा नार को भी
काम पे लगाइए

दुखी नहीं होती है ये
ईंट ईंट ढोती है ये
अबला के जीवन से 
 शूल भी हटाइए


1 comment:

  1. श्रम का मिले न दाम
    नार करती है काम
    थकी हारी नार को तो
    दाम तो दिलाइए

    सोच में डालने वाली रचना


    साझा करने के लिए आभार

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