Friday, 29 May 2020

गीत , " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

गीत

जिस रोग का जग में पार नहीं, जो रोग सभी पर भारी है। 
मुँह ढक कर के सब निकले हैं,अब कैसी यह लाचारी है। 

बंद हो गए देवालय सब, 
मधुशालाएँ खुलती है ।
बेबस जनता आज सभी तो, 
राजनीति में तुलती है।
देव आ रहे हैं जग मैं अब ,बन करके संसारी हैं।
मुँह ढक कर के सब निकले हैं,अब कैसी यह लाचारी है। 

सुख दुख का साथी बन करके ,
मदद सभी की कर देना।
भला करोगे भला मिलेगा,
आप कभी मत कुछ लेना।
भूखों को भोजन दे देना, ये ही बस हितकारी है।
मुँह ढक कर के सब निकले हैं, अब कैसी यह लाचारी है। 

Friday, 22 May 2020

लघु कथा , *मनोदशा* " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

 *मनोदशा*
*लेखिका राधा तिवारी "राधेगोपाल"*


नहीं पापा नहीं!
आप ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते।
नहीं !
माना कि आप एक अच्छे फोटोग्राफर है, माना कि आपको पुरस्कृत किया जा चुका है अच्छी फोटो खींचने के लिए मगर नहीं,नहीं पापा।
ऐसा बोलते हुए चिराग ने पापा के हाथ से कैमरा छीन लिया।पापा हतप्रभ थे आखिर मेरे बेटे को क्या हो गया जो कल तक कहता था कि आप अच्छी तस्वीरें लेते हैं और आज वही मेरे हाथ से कैमरा छीन रहा।
वे सोफा में बैठ गए अपनी पत्नी से पानी मंगवाया,पानी पीया फिर चिराग के सर पर हाथ फेरते हुए उन्होंने प्रेम पूर्वक इसका कारण पूछा।
चिराग बोला पापा और समय की बात अलग थी अभी कोरोना महामारी के कारण लोकडाउन चल रहा है।लोग बाहर अपने साथियों की अन्न दे कर मदद कर रहे हैं ।यदि हम हाथ फैलाते हुए उन लोगों की तस्वीर को अपने कैमरे में कैद करेंगे तो उन गरीबों को कैसा लगेगा। जब वह तस्वीरें लोगों तक पहुंचेगी हो सकता है कि पापा उसमें हम भी हो या हमारे कोई दोस्त हो और वह हंसी के पात्र ना बन जाए। प्लीज पापा।

मैंने देखा कि चिराग की आँखों में आँसू थे।मैं नि:शब्द था एक छोटे बच्चे की मनोदशा को देखकर और मैं चुपचाप अपना कैमरा ऐसे ही छोड़ कर बाहर की ओर चला गया और मन में प्रण कर लिया कि मैं मदद करने वालों की तस्वीर तो लुँगा मगर जिनकी मदद की जा रही है उनको कैमरे में कैद कदापि नहीं करूंगा। आखिर वह भी तो हमारे साथ के ही हैं, हम जैसे ही हैं।


Thursday, 21 May 2020

डमरु घनाक्षरी , " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),


डमरु घनाक्षरी
मटक मटक कर, पनघट तक चल।
अब मत जल भर ,चल अब घर पर।।
गटक न जल अब, शरबत मत चख।
भजन लगन कर, घर पर रहकर।।

छम छम मत कर,चल अब शरहद।
मत कर करतब, जग मग सब जन।।
रथ पर चढ़कर, नभ तक उड़कर ।
चल अब घर चल, अब न मचल कर ।।

Wednesday, 20 May 2020

*मनहरण घनाक्षरी* , लक्षण - " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

 *मनहरण घनाक्षरी*
लक्षण -
मनहरण घनाक्षरी छन्द एक वार्णिक वृत्त है, जिसमें *कुल 4 पद* होते हैं तथा प्रत्येक पद में *4 चरण* होते हैं तथा 16 - 15 वर्णों पर यति, चारों पद समतुकांत, तथा अंत गुरु होने का प्रावधान है ।
इसे अन्य रूप में 8, 8, 8, 7 वर्णों पर क्रमशः यति के स्वरूप में पढ़ा एवं रचा जाता है । 

 जैसे 

" बंद हुआ काम-काज
बंद हुआ देश आज
 घर में ही बैठकर
 छुट्टियां बिताइए"


Tuesday, 19 May 2020

घनाक्षरी छंद , भुखमरी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

 भुखमरी 
दुनिया पर मंडरा रहा भूखमरी का संकट, 12 ...
आज सारे बलवान
धनवान बुद्धिमान
विद्वान है जहान
आप बतलाइए

आया है ये दौर कैसा
काम का नहीं है पैसा
घर-घर आप सब
भोज पहुँचाइए

झोपड़ी में है जो बच्चे
मन के है  वो तो सच्चे
पिताजी से कहते हैं
आप मुस्काइए

जनता बीमार सारी
विपदा है बड़ी भारी
भुखमरी दूर होगी
कैसे बतलाइए

Monday, 18 May 2020

घनाक्षरी छंद , परिवार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),

 परिवार

सबके ही माता-पिता
होते हैं जीवन दाता
उनके तो हरदम
साथ में ही रहिए

माता को तो ईश जान
देती हैं सभी को ज्ञान
उनके ही साथ सब
दुख सुख सहिए

धरा तो है माँ समान
पिता तो हैं आसमान
ज़िन्दगी में उनसे तो
प्यार से ही कहिए

चलती जीवन गाड़ी
समतल या पहाड़ी
पिताजी इंजन बने
बच्चे तो है पहिए


Friday, 15 May 2020

चौपाई , संयम " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),


संयम

संयम सबको राह दिखाता 
संयम बनता भाग्य विधाता 
पालन इसका जो भी करता 
वह तो भूखा कभी ना मरता

महिमा है संयम की न्यारी 
संतुष्टि है सबसे प्यारी
बदलो अब तो जीवन शैली 
है बीमारी जग में फैली

लफ्डों में तो नहीं पड़ो तुम
क्रोध घृणा से सदा लड़ो तुम 
मीत बनाओ जग में सबको 
याद रखो तुम अपने रब को 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में सब भाई भाई
जो संयम को हरदम सहता
दुख तो उससे दूरही रहता