बाल कविता "कोयल "

पतझड़ का अंत हो रहा
चारों ओर बसंत हो रहा
फूल खिल रहे गुलशन गुलशन
झूम रही तितली वन उपवन
कोयल की है शान निराली
गाती है होकर मतवाली
खेतों की शान
हरी भरी हरियाली देखोअब खेतों की शान हो रही
वर्षा की बौछार धान केलिए आज वरदान हो रही
स्वर्ण कणो सी चमक रही है अब धानों की बाली
खुश हो रहे किसान सभी अबसुधरेगी हालत माली
काली घटा गगन में अब तो वर्षा की पहचान हो रही
वर्षा की बौछार धान के लिए आज वरदान हो रही
झोपड़पट्टी के बदले में बना रहे हैं अब वह बंगले
होती नहीं पड़ोस में बातें दीवारों में लग गए जंगले
हिला रहा भूकंप धरा कोकुटिया अब कंपायमान हो रही
वर्षा की बौछार धान के लिए आज वरदान हो रही
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रास्ता नेकी का है तुम को दिखाया
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युवा नशे में आज क्यों अब खो रहा है?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?
गेहूं चावल बेचकर तुमको पढ़ाया,
तुमको गीतासार दादी ने बताया,
आज फिर भी क्यों आंख मूंदे सो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?
सर्व शिक्षा अभियान यहां पर है चलाया,
प्यार आपस में करो है ये भी सिखाया ,
अहम के बीजों को फिर भी क्यों बो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?
माता ने बचपन में था तुझको झुलाया,
पिता ने भी गोद में तुझको खिलाया ,
उर्ऋण क्यों एहसान से अब वो रहा है?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?
रास्ता नेकी का है तुम को दिखाया,
फूल बन कर शूल रस्ते का हटाया,
पुण्य छोड़ पाप को क्यों ढो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है ?
आदर करना है सभी का यह सिखाया,
क्रोध और अपमान मन का है मिटाया,
औरों की खुशियों में तू क्यों रो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?
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