Tuesday, 25 September 2018

बाल कविता "कोयल " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

 बाल कविता "कोयल "
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पतझड़ का अंत हो रहा
चारों ओर बसंत हो रहा
फूल खिल रहे गुलशन गुलशन
 झूम रही तितली वन उपवन
 कोयल की है शान निराली
 गाती है होकर मतवाली

Monday, 24 September 2018

ग़ज़ल " तेरी यादों का मंजर" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

तेरी यादों का मंजर

चली गंगा चली यमुना बनाने को समुंदर है 
भुलाया जो नहीं जाता वही यादों का मंजर है

 बनेंगे काम सारे ही, अगर हो हौसला मन में
कोई ना भूलता जिसको वही होता सिकंदर है 

जन्म के साथ ही बनती हमेशा भाग्य की रेखा
परोसा है वही जाता बना जैसा मुकद्दर है 

चला रोटी कमाने को हुनर को बेचने निकला 
उछल और कूद जो करता वही होता कलंदर है

 राधा कर रही सजदा हमेशा उस ठिकाने को 

जहाँ पर ज्ञान के रहते बड़े भारी धुरंधर हैं

Sunday, 23 September 2018

गीत "खेतों की शान " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

खेतों की शान 
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हरी भरी हरियाली देखोअब खेतों की शान हो रही
 वर्षा की बौछार धान केलिए आज वरदान हो रही

स्वर्ण कणो सी चमक रही है अब धानों की बाली
खुश हो रहे किसान सभी अबसुधरेगी हालत माली
काली घटा गगन में अब तो वर्षा की पहचान हो रही
वर्षा की बौछार धान के लिए आज वरदान हो रही

 झोपड़पट्टी के बदले में बना रहे हैं अब वह बंगले
होती नहीं पड़ोस में बातें दीवारों में लग गए जंगले
 हिला रहा भूकंप धरा कोकुटिया अब कंपायमान हो रही
 वर्षा की बौछार धान के लिए आज वरदान हो रही

Friday, 21 September 2018

ग़ज़ल गीत "रास्ता नेकी का है तुम को दिखाया"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

रास्ता नेकी का है तुम को दिखाया
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युवा नशे में आज क्यों अब खो रहा है?
 आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?

 गेहूं चावल बेचकर तुमको पढ़ाया,
तुमको गीतासार दादी ने बताया,
 आज फिर भी क्यों आंख मूंदे सो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?

 सर्व शिक्षा अभियान यहां पर है चलाया,
 प्यार आपस में करो है ये भी सिखाया ,
अहम के बीजों को फिर भी क्यों बो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?

 माता ने बचपन में था तुझको झुलाया,
 पिता ने भी गोद में तुझको खिलाया ,
उर्ऋण क्यों एहसान से अब वो रहा है?
 आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?

 रास्ता नेकी का है तुम को दिखाया,
 फूल बन कर शूल रस्ते का हटाया,
 पुण्य छोड़ पाप को क्यों ढो रहा है ?
आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है ?

आदर करना है सभी का यह सिखाया,
 क्रोध और अपमान मन का है मिटाया,
 औरों की खुशियों में तू क्यों रो रहा है ?


आने वाली पीढ़ी को क्या हो रहा है?
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