Saturday, 18 June 2022

राधा तिवारी ,"राधेगोपाल" , दोहे "राधे के अनमोल दोहे"

 


राधे के अनमोल दोहे 

लिखकर राजा राम कापत्थर पर है नाम ।
सेतु बना कर कर रहेहनुमत अपना काम।।

घर में सब रहने लगे, करने को आराम,
दिनचर्या तो थम गई ,मचा आज कुहराम।।

जंगल में जो आग थीउस पर लगा विराम।
जला रहे थे आग जो,वो करते आराम।।

कहे बीमारी आप तोहम कहते त्यौहार ।।
आप कहे संहार हैंहम कहते संसार।।

शुद्ध हुआ वातावरणशुद्ध नदी का नीर ।
सब अपने घर बंद हैंपूछें किसकी पीर।।

बरछी ढाल कृपाण लेकरती सेना युद्ध।
श्रीराम रण  भूमि में  ,हुए कभी न क्रुद्ध।।


सड़कें सारी व्यस्त थीकरती थी जो शोर। 
वाहन सारे थम गएवह भी हो गई बोर।।

कहते सब आजाद थे ,पहले हम और आप।
जीवों पर सब ने कियादेखो कितना पाप।।

शुद्ध हुआ वातावरणताजी चले समीर।
जीव जंतु की अब यहाँबदली है तकदीर।।

डरा रहा सबको यहाँजीवन पल पल आज। 
रोक रही है मौत तोसबके अब तो काज।।

सुना रहे पक्षी सभीमधुर मधुर संगीत।
भूल गए हैं आज तोवो बिरहा के गीत।।

तितली भी इतरा रही ,जा फूलों के पास।
भँवरे भी करने लगेअब कलियों की आस।।

जीव जंतु जग के सभीघूम रहे हो मस्त।
इंसानों का सूर्य तोहोने लगा है अस्त।।



राधा तिवारी"राधेगोपाल" 
खटीमा 
उधम सिंह नगर 
उत्खेतराखंड 


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