Monday, 14 June 2021

राधा तिवारी राधेगोपाल ,दोहे ,भोजन

 


भोजन

देवदूत बन आ रहेधरती पर भगवान।
प्राण बचाने के लिएबने यहां इंसान।।

कहीं रोकते रास्ताकहीं दे रहे दान ।
भोजन ही सबसे बड़ादान यहां श्रीमान।।

आडंबर करना नहींरहना सब निजधाम।
रहकर सबसे दूर हीकर लेना आराम।।

कठिन समय को देखकरधरना हरदम धीर।
 क्रूर काल से आपकोबचा रहे रघुवीर।।

प्रेम प्रीति में है भरायह सारा संसार ।
राधे हरदम ही करोसबसे शुभ व्यवहार।।

गए प्रेम वश राम जीजब शबरी के द्वार।
 खाकर जूठे बेर कोदिया उसी को तार।।

 संदेश दिलों का ला रहाढाई आखर प्रेम।
प्रियतम की तस्वीर कोछिपा रहा बन फ्रेम।।

पुलकित यह जग हो रहाजब मिले प्रेम की राह।
फूल बिखरते जाएंगे ,गर मन में हो चाह।।

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