Monday 21 May 2018

"खटीमा में कविगोष्ठी" सुनिए मेरी आवाज (राधा तिवारी)

खटीमा-20/05/2018 को दोपहर में  वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक के निवास पर दो सत्रों में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। पहले सत्र  में कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। जिसकी अध्यक्षता कवयित्री राधा तिवारी राधेगोपालने की।
आइये सुनिए मेरी यह "ग़ज़ल" ....

चल पडो तब रुक न जाना ,देख कर यह रास्ते l
अब तुम्हे चलना ही होगा इस वतन के वास्ते”

 हार हो या जीत हो, या जान मुश्किल में कभी ।
जान -ए-दिल कुर्बान करना, इस वतन के वास्ते ।।

 वक्त हो कैसा भी तुम, डर कर कभी रुकना नहीं ।
कदम तो बढ़ते रहें, अपने वतन के वास्ते ।।

सर्दी गर्मी धूप हो, चाहे हवा प्रतिकूल हो ।
पर्वतों को भी लाँघ जाना, तुम वतन के वास्ते।

 दूध माता का पिया है , कर्ज तो उसका चुका।
 फर्ज है बलिदान होगा ,  वतन के वास्ते ।।

शत्रु से डरकर सरहद से, भागकर आना नहीं ।
कह रही राधे कटाना, सिर वतन के वास्ते ।।


 
दूसरा सत्र में क से कविताके रूप में प्रारम्भ हुआ जिसमें बालककवि के रूप में पधारे आकाश कुमार ने पाठ्यपुस्तक की एक रचना का पाठ किया। डॉ.सिद्धेश्वर सिंह ने ग़ज़लगो मोमिन की गजल वो जो हममें तुममें करार था, तुम्हे याद हो कि न याद होका वाचन किया, मेजबान डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कविवर सुमित्रानन्दन पन्त के जन्म दिवस पर उनकी रचना मैं पतझड़ का जीर्ण पातऔर हाल ही में स्मृतिशेष हुए स्व. बालकवि वैरागी की रचना अपनी गन्ध नहीं बेचूँगाको पढ़ा। श्री श्रीभगवान मिश्र ने सरस्वती वन्दना का सस्वर पाठ किया। आश्रम पद्धति विद्यालय से पधारे रामरतन यादव ने मंगलेश डबराल की रचना का वाचन किया। इस अवसर पर जय शंकर चौबे, पूरन बिष्ट तथा कैलाश पाण्डेय ने भी काव्यपाठ किया। कार्यक्रम में श्री पूरन बिष्ट को उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने पर उनकी भूरि-भूरि सराहना की गयी और उनको बधाई दी गयी।



अन्त में राधा गोपाल तिवारी ने दुस्यन्त कुमार की प्रसिद्ध गजल हो गयी है पीर पर्वत सी...को तरन्नुम के साथ गाया और गोष्ठी में समाँ बाँध दिया।


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