मेरा जीवन नदिया जैसा, साथ
तुम्हारा लगे किनारा।
आँधी-तूफां आये कितने, कभी न छूटे साथ हमारा।।
बिन्दिया खूब चमकती मेरी, शोर
मचाती चूड़ी-पायल।
छन-छन बजते मेरे कंगन, देखो करते मूक इशारा।।
तेरी सभी अदाये मुझको, करती हैं
मदहोश साजना।
दिल तो एक खिलौना होता, लेकिन इससे
जग है हारा।
जुल्म-सितम कितने भी आयें, मैं सारे
हँसकर सह लूँगी।
किन्तु कभी मत मुझको करना, जीवन के
पथ से बेचारा।।
रखवाला गोपाल सभी का, मेरा भी वो ही मालिक है।
लगन लगी राधे को ऐसी, रटती रहती नाम
तुम्हारा।।
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Thursday, 10 May 2018
ग़ज़ल "कभी न छूटे साथ हमारा" (राधा तिवारी 'राधेगोपाल')
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