Sunday 30 September 2018

फसल धान की ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



 फसल धान की 
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 फसल धान की मन को भाई
 मनभावन सर्दी अब आई
हरी हरी है सभी दिशाएं
लहर लहर फसलें लहराई
ढके बर्फ से पर्वत सारे
 लगते देखो कितने प्यारे
बादल में अब सूर्य छिप गया
 शीतल मंद चली पुरवाई
 मनभावन सर्दी अब आई
रातें लंबी खूब हो रही
राधे सुख से आज सो रही
 शीतलता सबके मन भाई
 मनभावन सर्दी अब आई



Saturday 29 September 2018

हाइकु " एक प्रयास "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

हाइकु 


भूखा हूं मैया
 कुछ खाने को दे दो
 कहती गैया


 चाय के साथ 
 गरम पकौड़े ही
आते हैं रास

 दाना दे दो
 कण कण चुगती
 एक गौरैया

ग़ज़ल "राधे ख्यालों में खोने लगी है"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

 राधे ख्यालों में खोने लगी है
  मुलाकात उनसे तो होने लगी है
 मोहब्बत की शुरुआत होने लगी है

 ख्वाबों में आते हैं रातों में मेरे
 यही सोच राधे भी सोने लगी है

 पनपेंगे एक दिन मोहब्बत के पौधे
 यही सोच अरमान बोने लगी है

 दुख सुख के साथी बन जाओ मेरे
 सपने सलोने सजोने लगी है

 अश्कों के मोती तुम थाम लेना
 गमों की चदरिया भिगोने लगी है

 खोने की चाहत है फिर दिल में तेरे
 राधे ख्यालों में खोने लगी है



Friday 28 September 2018

बाल कविता " चौमासा" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


बाल कविता " चौमासा"
आसमान से बूंद आई
 धरती पर हरियाली छाई
 गरज रहे हैं बरस रहे हैं
 उमड़-घुमड़ कर लरज रहे हैं
 हर्षल विपुल दौड़ कर आए
 बारिश में वह खूब नहाये
 इंद्रधनुष नभ में उग आया
जिसने सबका मन भरमाया
 स्वाति युगल बाहर को आए
देख नजारा वो हर्षाए
 मौसम का है अजब नजारा

 चौमासा लगता है प्यारा

Thursday 27 September 2018

बाल कविता "प्रकृति" राधा तिवारी (राधे गोपाल)

बाल कविता "प्रकृति"
खोल झरोखा देख रही हूँ
 प्रकृति का  मैं रूप सलौना
नई कोपलों के झुरमुट को
 भंवरे समझे एक खिलोना
जब भी कभी पास में जाकर
 अपने पंख वहां फैलाते
 देख देख कर कलियां फूल
 तितली जाती दुनिया भूल
 फूलों का पराग पीती है
रस पीकरके वह जीती है
 मधु लगता मक्खी को प्यारा
 छत्ता बन जाता तब सारा
पर इंसा उसको ले जाता
 मधुमक्खी को मार भगाता

Wednesday 26 September 2018

बाल कविता "धरती "( राधा तिवारी "राधेगोपाल ")


बाल कविता  "धरती "
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धरती में सब पेड़ गड़े हैं
 देखो कैसे सभी खड़े हैं
जैसे ही कुल्हाड़ी आती
शाखाएं सब है घबराती
पत्ते डरकर सहमें रहते
पशुओं का चारा हम कहते
 बनाओ मुझसे खिड़की द्वार
 मेरा मत करना व्यापार
 मत काटो तुम मुझको आकर
 खुश हो जाओ मुझको पाकर