Tuesday 31 December 2019

कुण्डलियाँ , " बात " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


बात
प्रेमी आपस में करें, आंखों से ही बात।
 शब्दों के आधार तो, पहुंचाते आघात।।
 पहुंचाते आघात, बात कर सोच समझ कर।
 करना मत तकरार, सुलझती बातें मिलकर।
 कह राधे गोपाल, लगाओ नेह सुयश में।
 मिलकर रहना साथ, सदा प्रेमी आपस में।।


 लगातार ही आ रही बारिश चारों ओर
कहीं बाढ की है दशा कहीं मेघ का शोर
 कहीं मेघ का शोर फटे अब क्यों पर बादल
 धरती पर तो नीर घूमता बनके पागल
 कह राधे गोपाल करेंगे वृक्ष पार ही
 बोते रहना पेड धरा पर लगातार ही

Monday 30 December 2019

कुण्डलियाँ, "पिता तुम्हारी हृदय से " , (राधा तिवारी "राधेगोपाल ")


पिता तुम्हारी हृदय से
 पिता तुम्हारी हृदय से, मिटी नहीं है याद |
कैंसे अब देखूँ तुम्हे, मन करता फरियाद |
मन करता फरियाद, देख लूँ पापा तुमको |
दे देना आशीष, हमेशा आकर हमको |
कह राधे गोपाल, वेदना सुना हमारी |
बसी हुईं है याद, सदा से पिता तुम्हारी ||


Sunday 29 December 2019

कुण्डलियाँ, " कुल्हाड़ी ", (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


 कुल्हाड़ी
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सुख-दुख जीवन में सदा, आते एक समान |
सुख जल्दी से बीतता, दुख लाता व्यवधान |
दुख लाता व्यवधान, झलकती पीड़ा भारी |
ईश्वर करता दूर, सखे पनपती पीर तुम्हारी |
कह राधे गोपाल, तसल्ली रक्खो मन में |
आते रहते पास, अरे सुख-दुख जीवन में ||

 कुल्हाड़ी का तुम कभी, मत करना उपयोग |
पेड़ों के बिन जगत मेंं, बढ़ जाएँगे रोग |
बढ़ जाएँगे रोग, उगाओ पेड़ धरा पर |
सूखी बंजर भूमि, अरे तू हरा-भरा कर |
कह राधे गोपाल, बोलती सदा पहाड़ी |
पेड़ बचा लो मित्र, फेंककर दूर कुल्हाड़ी ||

कुण्डलियाँ, " जलकर काया भस्म " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )



 जलकर काया भस्म
 जलकर काया भस्म है, थी माटी की देह |
जीवित रहने के लिए, खाते हैं अवलेह |
खाते हैं अवलेह, पी रहे हैं गंगाजल |
खबर नहीं है यार, अरे क्या होगा प्रतिफल |
कह राधे गोपाल, रहो आपस में मिलकर |
माटी की है देह, भस्म हो जाए जलकर ||

: काम, क्रोध, मद, लोभ से, रहना हरदम दूर |
करके अच्छे काम को, होते सब मशहूर |
होते सब मशहूर, कभी नफरत मत पालो |
बांटो हरपल प्यार, फूट को कभी न डालो |
कह राधे गोपाल, रहो तुम सदा बोध में |
हो जाता नुकसान, हमेशा काम-क्रोध में ||

: मात-पिता के सामने, करो न ऊँची बात |
अपनी बातों से कभी, देना मत आघात |
देना मत आघात, वही हैं मीत घनेरे |
बनकर के मजदूर, बनाए सुंदर डेरे |
कह राधे गोपाल, जिंदगी दुखी बिता के |
देते हैं आकाश, सितारे मात-पिता के ||

Thursday 31 October 2019

गजल, तुम्हारी याद के किस्से " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



तुम्हारी याद के किस्से
तुम्हारी याद के किस्से ज़हन में जब उभरते हैं 
बिना ही साज सज्जा के दिलों से हम सँवरते हैं।।

 करोगे याद हमको जब कभी तन्हाई में हमदम।
वो कैसे साथ हो जाए जो हर दम ही बिखरते हैं।।

 करेंगे याद तब तुमको  कभी जब पास से गुजरो।
 तुम्हारी याद आती है गली से जब गुजरते हैं ।।

सुना जब लोग आकर पास में फिर दूर जाते हैं 
वही टूटे हुए दिल के सभी घावों को भरते हैं।।

 हमेशा सोचती राधा  चाहूंगी तुम्हें हर पल।
 तुम्हारी याद से राधे के तो हर पल में निखरते हैं।।

Wednesday 30 October 2019

दोहे, साथ निभाती नार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

साथ निभाती नार
 जल का संचय कीजिएकरना जल का पान।
 जल होता अनमोल हैजल को  जीवन जान।।

 जीवन के हर राह में ,साथ निभाती नार।
 बनकर दुर्गा वो करेंजीवन नैया पार ।।

कूड़ा गाड़ी  रहीसफल करो अभियान।
 जो कूड़ा ले जा रहे ,उनको दो सम्मान ।।

नेकी के हर काम काकरती हूँ  आगाज़।
 एक भरोसे राम केलगा रही आवाज़ ।।

दौलत शोहरत से नहींहोती है पहचान 
काम सदा ही नेक होमन में लो यह जान।।

Tuesday 29 October 2019

दोहे, नगरा गांव " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

नगरा गांव
 साफ सफाई का यहाँ , बच्चों रखना ध्यान 
स्वच्छ अगर परिवेश हो ,स्वस्थ रहे को जान।।

 वर्षा के जल का करोजीवन में उपयोग 
गड्ढों में गर जल रहेपैदा होते रोग।।

 थोड़े से बच्चे करें ,उन्नति में सहयोग।
 कागज गत्तों से करेंअपने यहां प्रयोग ।।

अस्पताल दिखता यहाँ , सफल है नगरा गांव।
 हरे भरे परिवेश कीमिली हमको छावं।।

 जल से सींचो  पौध कोकर लो तुम व्यायाम 
पढ़ने के संग खेल का ,है अपना आयाम ।।

वृक्षों से मिलती हमेंठंडी ठंडी छांव।
 मरहम यही लगा रहेजब घायल हो पाँव ।।

 पेड़ कभी ना काटनामत लेना तुम दाम 
वरना तो जल जाएगातेरा कोमल चाम।।

 जल ही तो अनमोल है ,जल में सबकी जान 
आते हैं जल के बिनाजीवन में व्यवधान।।

 जीवन दाता पेड़ हैकरते हैं उपकार।
 पेड़ मनुज को दे रहे ,कुदरत का उपहार ।।

साफ सफाई में  करोसब अपना सहयोग 
हरती सब की स्वच्छताफैल रहे जो रोग।।