*मृगतृष्णा*
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मृगतृष्णा सा डोलते, रहे
जगत में आप।
शीतलता लगने लगी, सबको
ही अब ताप।।1।।
आज किसी इंसान में, नहीं
रही अब धीर।
लड़ने को आतुर सभी, जैसे
हो रणवीर।।2।।
बात सहन करते नहीं,आज
किसी के लाल।
यही समय का फेर है, कहता
है यह काल।।3।।
चलें आप हम साथ में, करें
जगत में नाम।
मृगतृष्णा को छोड़कर ,करले
अच्छे काम।।4।।
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Thursday 30 April 2020
दोहे छंद , *मृगतृष्णा* " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
Wednesday 29 April 2020
वंदना, "कल्याण करो माँ , "" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
"कल्याण करो माँ"
हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी, माँ
मुझमें तुम ज्ञान भरो
तिमिर नाश मन का करके माँ ,मेरा
भी कल्याण करो।
क्रोध मोह माया को माता, तुम
ही तो हर सकती हो।
शरण तुम्हारी आई हूँ मैं, ज्ञान
पुंज भर सकती हो।
हे माँ हंस सवारी माता, कष्टों
को तुम सभी हरो।
तिमिर नाश मन का करके माँ ,मेरा
भी कल्याण करो।।
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Tuesday 28 April 2020
राधे के दोहे , दोहे " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
1 रूप
राधा को मोहे सदा,मोहन
का ही रूप।
जग को अच्छा लग रहा, उनका
रूप अनूप।।
2. सौन्दर्य
सीता के सौंदर्य को, सखियाँ
देती मान।
मन सबका पुलकित हुआ,फूल
बने हैं शान।।
3.चीर
याद किया जब कृष्ण को, बढ़ा
चीर पे चीर।
हरते हैं भगवान तो,
जग में सबकी पीर।।
4.तनुजा
तनुजा होती शान है, मात-पिता
की जान।
काम गजब करती यहाँ, पाती
सब का मान।।
5.स्वप्न
स्वप्न सलोने देखती,राधा
दिन अरु रात।
करती मोहन से सदा, मीठी
मीठी बात।।
6.किरीट
दिख रहा है किरीट सा, हमको
चारों धाम।
राधा को मोहन लगे, सबसे
प्यारा नाम।।
7.कालिंदी
कालिंदी में दिख रहा,हमें
कालिया नाग।
नमन करो उनको सदा, मत
जाना तुम भाग।।
8.अक्षय
अक्षय मेरे लाल हो, वर
देना भगवान।
मोहन को जग में मिले,
हरदम सबका मान।।
9.मादक
मादक चीजों से सदा, करना
तुम परहेज।
अपने जीवन को रखो, हरदम
यहाँ सहेज।।
10. अंजन
अंजन के जैसे रहे, नैनों
में गोपाल।
राधा अपने साथ में,रखती
अपना लाल।।
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Monday 27 April 2020
गीत , भगवान परशुराम " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
भगवान परशुराम
विष्णु का अवतार तुम,परशुराम
भगवान।
परशुराम भगवान मेरे, परशुराम
भगवान।।
जब जब क्रोध बढ़ा धरती पर,और
लोभ व्यवहार।
तब तब मानव ने किए,सब
पर अत्याचार।
तुमसे ही सब वेद है,तुमसे
सभी पुराण।
तुमसे ही सुख संपदा, तुमसे
ही है प्राण।
तुम से ही पाता मनुज, जग
में हरदम मान।
परशुराम भगवान मेरे ,परशुराम
भगवान।।
तुम में ही हम देखते,कृष्ण
और बलराम।
तुम मैं ही दिखते हमें,हर
पल सीताराम।
शिव जी के तुम भक्त हो, हो
विष्णु अवतार।
इस कोरोना रोग से,
कर दो सबको पार।
सकल विश्व में कर रहे, आज
यहाँ गुणगान।
परशुराम भगवान, मेरे परशुराम भगवान।।
फरसा ही बस हाथ में, लिया
आपने थाम।
संकट सारे टल गए,जब
लिया आपका नाम।
करके पूजा-पाठ को, धन्य
हो रही नार।
दूर करो संसार का, सारा
हाहाकार।
घर में ही सब बैठकर, बचा
रहे हैं जान।
परशुराम भगवान, मेरे
परशुराम भगवान।।
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Sunday 26 April 2020
दोहे , परशुराम भगवान " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
परशुराम भगवान
परशुराम भगवान की, होगी जय जय कार।
करने को वे आ रहे, इस जग का उद्धार।।
जब जब धरती पर बढ़ा, क्रोध लोभ व्यवहार।
मानव मानव पर करे, जब भी अत्याचार।।
जब-जब अत्याचार ने, बढ़ा दिए हैं पैर।
तब तब जीवों में हुआ, आपस में ही बैर।।
परशुराम भगवान ने, किया जगत उद्धार।
फरसा लेकर आ रहे, विष्णु के अवतार।।
सिखा रहे हैं जीव को, जीवन का वे सार।
जीना है कैसे मनुज, कैसे होना पार।।
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Friday 24 April 2020
ग़ज़ल, " आदमी ही आदमी को " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
आदमी ही आदमी को
आदमी ही आदमी को आज छलता जा रहा।
हर समय भूतल तवा सा आज जलता जा रहा।।
नेकियां अब तो सभी फरेब बनती जा रही ।
भाई ही भाई को अब तो रोज खलता जा रहा ।।
स्वार्थ के
परिवेश में सब सेकते हैं रोटियाँ ।
आस्तीनों में सभी की सांप पलता जा रहा ।।
आज तो सीमाओं पर गद्दार पैदा हो रहे।
देख लो अब इस जहाँ में दौर चलता जा रहा।।
देखकर राधे वतन में इस तरह की सूरतें।
आज मक्कारों को भोला वतन फलता जा रहा।।
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