आपस में सबसे मित्रता हो, ना हो दुश्मनी।।
ग़म -ए-दौर आएंगे और आके जाएंगे।
जीने की तो खुशी से है, मन में अब ठन्नी।।
विचार सबके एक हों, और मन भी एक हो ।
रिश्ते के बीच मैं कभी भी, ना हो अनमनी।।
धनवान वो नहीं है जो, महलो मे रह रहे।
जिसका विशाल दिल यहाँ है, वो ही तो है धनी।।
रहना है कैसे जग में, राधे ये कह रही।
रिश्ते बचाने के लिए, अनजान सी बनी।
|
Friday 31 August 2018
आंखों में ख्वाब ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
Thursday 30 August 2018
शीश झुका( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
जिसने सूरज चांद बनाए ,उनका हम सम्मान करें ।।
काली रातों में दे दिया, जिसने चमकीले तारों का थाल।
मात पिता के रूप में आकर, सारे जग को लिया संभाल।।
कौन है अपना कैसे रिश्ते, सब की हम पहचान करें ।
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें ।।
धरा सा कोमल दिया बिछोना, और गगन सी चादर प्यारी।
बादल के संग बरसा दे दी, और छठा दी न्यारी न्यारी ।।
जो सबका सुख दुख हर लेता, आओ उसे प्रणाम करें ।
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें।।
जो निर्धन को धन देता है, निर्बल को देता है बल।
किन्तु सदा रहता है जो ,नभ थल में जो सदा अचल।।
जो याद नहीं करते ईश्वर को, उनका भी वह उत्थान करें।
आओ शीश झुका कर हम सब, ईश्वर का गुणगान करें।।
|
-
Wednesday 29 August 2018
इस शहर में( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
इस शहर में
इस शहर में कोई एक रहता है
कुछ कुछ बातें वह हमसे नेक कहता है
जब भी उदास रहती
मैं याद उसको करती
यादों में उसके जीती
जी जी के रोज मरती
दिल ए आईना चटकता जब अतिरेक होता है
इस शहर में कोई एक रहता है
करती हूं उसकी बातें
सुबह शाम ही उससे
रहती हूं खोई-खोई
अपनी व्यथा कहूं मैं किससे
यादों का पानी में रेत बहता है
इस शहर में कोई एक रहता है
बोए है दिल में हमने
अरमां बहुत ही सारे
तुम साथ हो तो लगते
दिलकश सभी नजारे
दिल ए उपवन निखरता जैसे खेत रहता है
इस शहर में कोई एक रहता है
|
-
Tuesday 28 August 2018
मेरी कलम ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
मुझको कुछ दिन जी लेने दे
पर वह तो वाचाल बहुत है
मुझसे करे सवाल बहुत हैं
क्यों तुम मुझ को त्याग रही हो?
छोड़के मुझको भाग रही हो
मैं हूँ तेरे मन का दर्पण
करदे कापी मुझको अर्पण
तेरे दिल की मैं तस्वीर
मैं हूँ लेखक की तकदीर
फिर मत कहना अब रहने दे
मुझको मन की भी कहने दे
तेरे साथ से जीती हूँ
शब्दों का अमृत पीती हूँ
रहती पागल सदा सावरी
मैं राधे की बनी बावरी
|
-
Monday 27 August 2018
दिल से नफरत साफ करो राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
दिल से नफरत साफ करो
मंदिर मस्जिद में जाने को
दिल से नफरत साफ करो
रिश्ते नाते समझो प्यारे
गलती सबकी माफ करो
कभी नहीं कहते हैं ईश्वर
जग में आकर पाप करो
प्यार सभी से आप करो
खुद ही तुम इंसाफ करो
दिल से नफरत साफ करो
|
Subscribe to:
Posts (Atom)