Monday, 23 April 2018

जोकर राधा तिवारी 'राधेगोपाल '

 जोकर 
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सर्कस में जोकर ने मुखौटा जो पहना
 कहा उसने जग में सबसे हंसते ही रहना 

ना रोना कभी भी आंसू बहा कर
 हँसना सदा ही ठहाके लगाकर

 मगर जब उसने मुखौटा उतारा 
हंसते हुआ चेहरे से किया किनारा 

दुख की दरिया में डूबा दिखा वह 
भीतर ही भीतर रोता दिखा वह

 जग को हंसाने को दर्द अपना छिपाया
 अकेले में दुख दरिया में डूबा हुआ पाया 

तो क्यों ना मैं जग के संग ही रम जाऊं
 अकेले ना रहूं अगर वहां दुख में पाऊं

अरे हंस कर मैंने तुम्हें भी हंसाया 
अपना उसको भी बनाया जो था पराया

 विचार यही उसके मन में आने लगा था
 दुख अपना छिपाकर था तुम को हंसाया

 कुछ पल का जीवन है यह तुम्हारा हमारा
 हंस के बिताया हुआ हर पल है हमारा 

पिफर क्यों ना हम हंस कर यह जीवन बिता दें
हम दुख के समुंदर को दूर हटा दें

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