सूर्य का प्रकाश
सूर्य का प्रकाश जब भी मेरे आँगन आता है
सुर्य की चटक किरणों से घर मेरा जगमगाता है
अंधेरे को दूर भगा उजियारा वह करता है
दुख दर्द की पीड़ा हर कर गीत खुशी के गाता है
सूर्य की किरणें सदा हर हाल में मिलती रहे
सूर्य की ही रोशनी से हर कली खिलती रहे
चारों दिशाओं में रवि तेरा ही गुणगान हो
सुबह सवेरे उठते ही तेरा ही सम्मान हो
तुम से होते दूर अंधेरे तुम जीवन वरदान हो
तुम बिन यह जग कुछ भी नहीं तुम ही तो भगवान हो
तुम से ही हम सोते जगते तुम ही ईश महान हो
सुबह सवेरे मेरा आँगन तुमसे ही प्रकाशवान हो
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