आदमी
हर दम नहीं पास बिठाता है आदमी ।
जी भर गया तो दूर भगाता है आदमी ।।
गले लगाकर गिले-शिकवे तो सब करें।
क्रोध में मित्र को शत्रु बनाता है आदमी ।।
जीवन और मृत्यु तो है ईश्वर के हाथ में ।
इंसान में मृत्यु का खौफ जगाता है आदमी ।।
हैवान बन कर रात को चलता है दरबदर ।
स्वयं को इंसान नहीं भगवान बताता है आदमी।।
राधे जो इस धरा पर खुद को ढूंढने गई ।
अपने ऐब हर समय छुपाता है आदमी।।
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