Wednesday, 6 December 2017

कविता "तुम मेरे मम्मी-पापा हो" (राधा तिवारी)

तुम मेरे मम्मी-पापा हो,
यह मैं सब से कहती हूँ।
हर पल हर क्षण मेरे पापा,
आप के दिल में रहती हूं।।

मेरे आने की आहट से,
तुम कैसे खिल जाते हो।
मेरे दुख पीड़ा के क्षण में,
तुम पहले मिल जाते हो।।

मेरे दुख से दुखी हो जाते,
सुख तुमको लगता प्यारा।
कितने रिश्ते हैं इस जग में,
पर यह है सबसे न्यारा।।

राधा गोद खिलाई तुमने,
उसको प्यार से पाला।  
जग की सारी खुशियां दी,
और अपना दिया निवाला।।

होकर बड़ी स्वयं को मैं,
पाती हूं अब भी मुनिया।
मम्मी-पापा में बसती है,
मेरी सारी दुनिया।।

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