Friday, 15 December 2017

दोहे "रखो रेडियो पास में" (राधा तिवारी)


भूल गया है रेडियो, अब तो सारा देश।
टीवी पर ही देखते, दुनिया के सन्देश।।

लाये फिर से रेडियो, मेरे भाई साब।
मिलता हमको है नहीं, इसका कोई जवाब।।

सुनने में अच्छे लगें, भूले बिसरे गीत।
युववाणी के साथ हैं, मनभावन संगीत।।

 काव्य गोष्ठी हो रही, होता काव्य प्रसार।
गागर में सागर भरे, यह छोटा संसार।।

समाचार सुन कर करो, दुनिया भर की सैर।
रखो रेडियो पास में, खतम करो सब बैर।।

 छोटा सा है रेडियो , खूँटी में दो टाँग।
उठ जाओ तुम भोर में, जब मुर्गा दे बाँग।।

बूढ़े-बालक गांव के, लेकर इसको हाथ।
पीपल के नीचे सभी, सुनते मिलकर साथ।।

राधा देती है सदा, इस डिब्बे को मान।
यह बढ़ाता देश की, आन मान औ शान।।

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