Saturday, 23 December 2017

दोहे "ओ मेरे मनमीत" (राधा तिवारी)

तुमसे रूठूँ जब कभी, ओ मेरे मनमीत।
प्यार और मनुहार से, मुझे सुनाओ गीत।।

चार दिनों की जिन्दगी, कुछ पल का है साथ।
मायूसी अच्छी नहीं, मेरे भोले नाथ।।

इश्क किया है श्याम से, राधे का वो मीत।
लिखती उसकी याद में, छन्दबद्ध मैं गीत।।

अदा निराली श्याम की, रोज फेंकता जाल।
मुझे रिझाता प्यार से, नन्द बाबा का लाल।।

मटकाती है राधिका, कजरारे दो नैन।
मुस्काता गोपाल जब, दिल होता बैचैन।।
  

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