भारत की हर नार।
नारि-जाति के साथ
में,
करना शुभ
व्यवहार।।
कोमलांगी कहते इसे,
शक्ति का यह रुप।
खुश रहती हर हाल में,
नारी बहुत अनूप।।
बालों का जूड़ा बना, करती है सिंगार।
सजनी साजन को करे, खुद से ज्यादा प्यार।।
सिंदूरी हर माँग में , है साजन का प्यार ।
कंगन-पायल, चूड़ियाँ, छनकाती हर बार।।
कानों में झुमकी सजे, पायल बिछिया पाव ।
हंसी-खुशी चलती रहे , उसकी जीवन नाव।।
दो नैनों में है बसा ,साजन का ही प्यार।
नैनो में काजल लगा, हरसाती हर बार।।
सुंदर लगती नार है , गोद खिलाती लाल।
राधे का तो एक ही, है साजन गोपाल।।
(राधे-गोपाल)
|
Showing posts with label नारी बहुत अनूप. Show all posts
Showing posts with label नारी बहुत अनूप. Show all posts
Saturday, 18 November 2017
दोहे "नारी बहुत अनूप" (राधा तिवारी)
Subscribe to:
Posts (Atom)