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Wednesday, 15 May 2019

बाल कविता, "बढ़ता ताप " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल ")


बढ़ता ताप 
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सूरज का जब बढ़ता ताप 
तब पानी बन जाता भाप 
उड़ कर के आकाश में जाता 
कोई उसको देख न पता 
सूखी नदिया , छरने सूखे 
चेहरे सबके हो गए रूखे 
नीम्बू कि अब आई बहार 
पीलो पानी बार बार 
तेज हो रही है अब धुप 
बिगड़ रहा है सबका रूप 
बच्चों घर के अन्दर आओ 
घर में तुम शीतलता पाओ