Showing posts with label "कलम पर हो रहे भारी" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल "). Show all posts
Showing posts with label "कलम पर हो रहे भारी" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल "). Show all posts

Friday, 31 May 2019

ग़ज़ल, "कलम पर हो रहे भारी" ( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


कलम पर हो रहे भारी
 मेरी हर सोच मेरे बोल कलम पर हो रहे भारी
 लिखाती है वही लिखती हूँ  कैसी है ये लाचारी

 ख्यालों में ही खो करके तुम्हारा नाम लेती हूँ 
 यादों के झरोखे भी कलम पर हो रहे भारी 

तुम्ही हो सोच में मेरे तुम्हें ही सोचती हरदम 
मेरे हर सोच ती जानम कलम पर हो रहे भारी

 नजर में तू मगर फिर भी यह नैना ढूंढते तुझको
 जगत के लोग भी साजन कलम पर हो रहे भारी

 कहे राधा के लेखक की कलम में जान होती है
 जगत के जीव निर्जीव भी कलम पर हो रहे भारी