राधे हैं अभिभूत
आंख
चुराने
लग
गया, अगर
आपका
बाल।
समझ लीजिए आप
यह, बदली
उसकी
चाल।।
रहते अच्छे बाल
तो, पढ़ने
में
तल्लीन।
जो होते बदमाश वो, रहते
विद्या
हीन।।
अध्यापिका
से
कर
रहे, बच्चे
हरदम
प्यार।
बच्चों से
रहता
अमर, हम
सब
का
संसार।।
शिक्षक से
करते
सदा, बच्चे
जो
भी
प्यार।
पढ़ लिख कर करते यहां,
विद्या
का
इज़हार।।
बता रहे लिखकर सभी, अपने
मन
की
बात।
राधे हैं अभिभूत अब,सुन
इनके
ज़ज़बात
।। |
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Tuesday, 30 April 2019
दोहे, " राधे हैं अभिभूत " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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