खुशियों से वे हो रहे, देखो ओत प्रोत।।
जब भी तन विचलित रहे,
सुनो मधुर संगीत।
हंसी-खुशी कटता सफर, यह है जग की रीत ।।
पेड़ों पर झूले पड़े,
सावन का है माह।
राधा झूला झूलती, सखियाँ देखे राह ।।
समय बड़ा बलवान है,
बड़ी समय की मार।
पहचानो तुम
समय
को , वरना होगी हार।।
जलवायु इस देश की ,संकट में है आज ।
शुद्ध बने पर्यावरण
,सुख से रहे समाज।।
जब थोड़े से लब मिले, तब बिखरी मुस्कान ।।
नहीं समझ में आ सका, नैनो का विज्ञान ।
कागज का उपयोग कर
,कूड़े में मत डाल।
लिखे हुए तो शब्द ही ,जग में करे कमाल।।
शिष्यों का करना नहीं, कभी कहीं अपमान।
देते हैं वह तो सदा, गुरुओं को सम्मान ।।
बैलों की जोड़ी करें
,सदा खेत में काम ।
काम सदा ऐसा करो, करे
न जो बदनाम।।
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Tuesday 24 July 2018
दोहे " कागज का उपयोग कर" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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