Saturday 21 July 2018

सुनाती हूँ गज़ल ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

सुनाती हूँ गज़ल
चँदा गया नभ में
 नींद मेरी मुकरती है

 तारे गिन रही हरदम
 यूँ राते गुजरती है

 बेचैनी सताती है
 कहाँ से चैन मैं लाऊँ

 जहां सारा ही सोया है
आंख सोने से डरती है

 बुलावे रोज आते हैं
 हमें महफिल में आने को

 सुनाती हूँ गज़ल जब भी
 याद तुमसे गुजरती है

 उठाती हूँ मैं हाथों को
 दुआओं के लिए जब जब

 तेरी तस्वीर आंखों में
 सदा मेरे उतरती है


No comments:

Post a Comment