कदम जब भी बढ़ाओगे तो मंजिल पास आएगी
पहाड़ों से निकलकर ने खुद ही राह बनाता है
उसे जो मिल गया साथी उसे संग में ले जाता है
बहे मैदान में वो साथ लेकर के कई पत्थर
बहेगा नीर जंगल से तो औषध साथ आएगी
कदम जब भी बढाओगे तो मंज़िल पास आएगी
सुना है संत जन करते सदा ही धर्म की रक्षा
ज़माने को सिखाते हैं वही तो वेद की शिक्षा
करो तन मन व धन से तुम सदा ही संत की सेवा
इन्हीं संतों की वाणी तो यहाँ गंगा बहाएगी
कदम जब भी बढाओगे तो मंजिल पास आएगी
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Wednesday, 31 October 2018
मुक्तक गीत " महफिल रास आएगी" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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