आपस में सबसे मित्रता हो, ना हो दुश्मनी।।
ग़म -ए-दौर आएंगे और आके जाएंगे।
जीने की तो खुशी से है, मन में अब ठन्नी।।
विचार सबके एक हों, और मन भी एक हो ।
रिश्ते के बीच मैं कभी भी, ना हो अनमनी।।
धनवान वो नहीं है जो, महलो मे रह रहे।
जिसका विशाल दिल यहाँ है, वो ही तो है धनी।।
रहना है कैसे जग में, राधे ये कह रही।
रिश्ते बचाने के लिए, अनजान सी बनी।
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Friday, 31 August 2018
आंखों में ख्वाब ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),
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