Tuesday 9 July 2019

ग़ज़ल, " सबसे प्यार कीजिए "(राधा तिवारी "राधेगोपाल ")









सबसे प्यार कीजिए
ज़िद त्याग करके गलतियां स्वीकार कीजिए
 बैर दंभ छोड़ सबसे प्यार कीजिए

 है हिंद अपना शान से कहते रहो सदा 
ना युद्ध करके जिंदगी बेकार कीजिए 

मेहमान का तो आगमन ईश्वर से कम नहीं 
ईश्वर के जैसे उनसे व्यवहार कीजिए

 अपने जो रूठ जाए तो कैसा नसीब है
 मनाने उनको खुशामद ए दरकार कीजिए

 दूर रहके राधे तुम यूँ पास में रहो
 करीब हो बता कर इजहार कीजिए

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-07-2019) को "नदी-गधेरे-गाड़" (चर्चा अंक- 3392) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत बहुत सुंदर।

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