पुल
पुल बनाया है नदी पर दिव्य और महान् है ।
फाइल है बता रही पुल वो आलीशान है।।
गिर रही बारिश की बूंदे भर गए जल स्रोत है।
आ रही है बाढ़ भू पर अब यही अनुमान है।
फाइल है बता रही पुल वो आलीशान है
खेत फसलों से भरे हैं हरियाली चंहु ओर है ।
अन्न कण न घर में पहुंचा कृषक भी हलकान है ।
फाइलें बता रही पुल वो आली शान है।
बोलते हैं सब जगत में हुई पैदावार है
खुश हुई सरकार लेकिन कृषक तो वीरान है
फाइल है बता रही पुल वो आली शान है
देखकर राधे यह मंजर आज कितनी है दुखी
चाह कर भी आ न पाती कोई मुस्कान है
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Monday 18 March 2019
गीत, पुल ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-03-2019) को "मन के मृदु उद्गार" (चर्चा अंक-3279) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'