ओ मेरे
प्यारे बचपन तुमको
मैं भूलूंगी कैसे
तुम साथ सदा
मेरे रहते बसते हो मेरी धड़कन हो
मेरी तुतलाती
बोली पर, माँ जाती थी
बलिहारी
मेरी वह नटखट
शोख-अदाएँ पापा
को लगतीं प्यारी
कहाँ गए वो
खेल खिलौने जो
सखियों संग थी खेली
कंचे-गोटी, गिल्ली-डंडा लगती मानों एक पहेली
क्या मेरे
प्यारे बचपन तू
फिर से वापस आएगा
क्या वह बचपन
की बातें फिर से तू याद
दिखलायेगा
ऐ मेरे बचपन मैं तुझको कभी
भूल नहीं पाऊँगी
पर अपने
बच्चों में तुझको
फिर से मैं पा जाऊँगी
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Monday, 8 January 2018
कविता "ओ मेरे प्यारे बचपन" (राधा तिवारी)
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