Monday, 8 January 2018

कविता "ओ मेरे प्यारे बचपन" (राधा तिवारी)

ओ मेरे प्यारे बचपन तुमको मैं भूलूंगी कैसे
तुम साथ सदा मेरे रहते बसते हो मेरी धड़कन हो

मेरी तुतलाती बोली पर, माँ जाती थी बलिहारी
मेरी वह नटखट शोख-अदाएँ पापा को लगतीं प्यारी

कहाँ गए वो खेल खिलौने जो सखियों संग थी खेली
कंचे-गोटी, गिल्ली-डंडा लगती मानों एक पहेली

क्या मेरे प्यारे बचपन तू फिर से वापस आएगा
क्या वह बचपन की बातें फिर से तू याद दिखलायेगा

ऐ मेरे बचपन मैं तुझको कभी भूल नहीं पाऊँगी
पर अपने बच्चों में तुझको फिर से मैं पा जाऊँगी


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