याद आने लगे वो हमें चुपके चुपके
दिल को लुभाने लगे चुपके चुपके
पल-पल की खबर रखते थे जो मेरी
हमें यूं ही तडपाने लगे हैं चुपके-चुपके
खता थी हमारी कि झुकते गये हम
तभी वो झुकाने लगे चुपके चुपके
मेरी ख्वाहिशों अब तो खामोश सी हैं
गजल गुनगुनाने लगी चुपके चुपके
वो वादे-इरादे में कैसे भुला दूँ
सताने लगे सब हमें चुपके चुपके
राधा तिवारी
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