Friday 28 May 2021

दोहे, सीता सोचे राम को

 






सीता सोचे राम को

मिला यहाँ पर राम कोदारुण दुख संताप।
 कभी-कभी निज काम काहोता पश्चाताप।।

सीता सोचे राम कोयहाँ  सदा दिन रैन।
 सुनकर बातें राम कीमिलता उसको चैन।।

सच ही कहने का यहाँ करना सदा प्रयास।
 झूठ बोलकर टूटतासबका ही विश्वास।।

 सोच यदि अच्छी रहेअच्छा हो परिणाम।
 भजने से श्रीराम कोबनते सारे काम।।

 किया गदे से मारकरराक्षस का संहार।
 हनुमत का तो तेज थाकेवल मुट्ठी प्रहार।।

धन्य हुई माँ  भारतीपाकर पुण्य पीयूष। 
महत्व ले उगता रहायहाँ घास अरु फूस।।
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