Wednesday, 5 June 2019

दोहे, " पर्यावरण दिवस " (राधा तिवारी " राधेगोपाल ")


पर्यावरण दिवस 
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भूमी, जल, वायू, ध्वनी,  परदूषण है चार।
 इनके कारण ही सभी,  होते सदा बीमार।।

 पवन प्रदूषण ला रहा, बढ़ा श्वास का रोग।
 नित इसमें विष घुल रहा, कैसे रहे निरोग।।

 जल का संचय कीजिए, मत करना बरबाद। 
बूँद-बूँद जल की करें,  जीवो को आबाद।।

 हवा अन्न चारा सभी, देते हमको पेड़।
 क्यों मूर्ख प्राणी इन्हें, जड़ से रहा उखेड़।।

 आँसू भी अब आँख के, सभी गए हैं सूख।
 दीनों का दुख देखकर, हँसते यहाँँ  रसूख।

 कपड़े का या जूट का, थैला करो प्रयोग।
 पन्नी का करना नहीं,  इंसा अब उपयोग।।

 उद्योगों से निकलता, धुआँ  यहाँ  हर बार।
 बढ़ा रहे दूषण सभी, चलते मोटर कार।।

 पैदल जो चलते यहाँ, अच्छे हैं वो लोग।
 सैर सपाटे से रहे, हरदम सभी निरोग।।

 पेड़ लगाने मैं कभी, करो ना आलस मित्र।
 पेड़ पौधों की यहाँ, महिमा बड़ी विचित्र।।

3 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 06.06.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3358 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  2. पर्यावरण दिवस पर सुंदर दोहे

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बच्चों का बचपना गुम न होने दें : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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