Tuesday 30 April 2019

दोहे, " राधे हैं अभिभूत " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


राधे हैं अभिभूत
आंख चुराने लग गया, अगर आपका बाल।
 समझ लीजिए आप यह, बदली उसकी चाल।।

 रहते अच्छे बाल तो, पढ़ने में तल्लीन।
 जो होते बदमाश वो, रहते विद्या हीन।।

अध्यापिका से कर रहे, बच्चे हरदम प्यार।
 बच्चों से रहता अमर, हम सब का संसार।।

 शिक्षक से करते सदा, बच्चे जो भी प्यार।
 पढ़ लिख कर करते यहां, विद्या का इज़हार।।

 बता रहे लिखकर सभी, अपने मन की बात।
 राधे हैं अभिभूत अब,सुन इनके ज़ज़बात ।।

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-05-2019) को "संस्कारों का गहना" (चर्चा अंक-3322) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह !बेहतरीन दोहे आदरणीया
    सादर

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