Saturday 20 April 2019

कविता, " मात- पिता के ऋणी रहेंगे " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 मात- पिता के ऋणी रहेंगे
 मात- पिता के ऋणी रहेंगे।
 उनका आदर सदा करेंगे ।।

दुनिया है दिखलाइए हम को।
 लेकर मेरे सारे गम को।।

 अपनी दुनिया हमें बताया।
 हम को दे दी अपनी छाया ।।

बनकर के सबके भगवान ।
सबको देते जीवनदान।।

 अपने सारे दुख छिपाते।
पर हम पर खुशियां बरसाते ।।

नहीं सरिखा तुमसा जग में ।
फूल आप दिखलाते मग में ।।

राधा है अनुयाई हरदम ।
जीवन में मत देना गम।।

2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-04-2019)"सज गई अमराईंयां" (चर्चा अंक-3312) को पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    - अनीता सैनी

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  2. सटीक रचना

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