नई नवेली दुल्हन जैसा यह प्यारा
संसार है
हँसी-ठिठोली
इसमें देखी हमको इससे प्यार है
आंचल में फुलवारी लेकर आई बसंत बहार
है
नई नवेली दुल्हन जैसा ही प्यारा
संसार है
पग-पग घुंघरू जैसे झरने सदा करे
झंकार हैं
पर्वत जैसा मुकुट शीश पर धरती का
श्रृंगार है
भीनी भीनी गन्ध धरा की रहती इसके
कण-कण में
निर्मल पावन नीर गंग का करता सबसे
करता प्यार है
नवयौवन सूरज ले आता जड़-जंगल
मैदानों में
भाँति-भाँति के रंग दिखाती राधे की
मनुहार है
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