अंधकार को पाया है
तब-तब मैंने इस
मन्दिर में
दीपक सदा जलाया है
इस ज्योति से
रोशन हो जाये
मेरे मन का कोना
छल-फरेब का मन से
हट जाये
सारा जादू-टोना
प्यार से मैंने
सबके संग में
रिश्ता सदा निभाया है
तब-तब मैंने इस
मन्दिर में
दीपक सदा जलाया है
मत तोड़ो नन्हीं कलियों को फूल नहीं बन पायेंगी वो
जन्मेगा जब कंस धरा पर बिजली सी बन छायेंगी वो
देख कुदृष्टि हर
नर की उसका पारा गरमाया है
तब-तब मैंने इस
मन्दिर में दीपक सदा जलाया है
इस धरती पर
शैतानी मानव का मुझको रूप दिखा
दानव मानव कैसे
बनते नारी ने सब दिया सिखा
नारी को शक्ति
तुम मानो इसने तो नर को जाया है
तब-तब मैंने इस
मन्दिर में दीपक सदा जलाया है
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Sunday, 11 February 2018
दीपक सदा जलाया है (राधा तिवारी)
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