*आँसू*
आँसू ही बताते यहां मिलना बिछड़ना भी। बेटी की विदाई में ये पिता को सताते हैं । प्यार मनुहार में ये क्रोध अहंकार में ये। पलकों से गिर गिर भेद को छिपाते हैं । आँसू की अनोखी बात चाहे दिन हो या रात । सुख दुख घड़ियों को साथ ही बिताते हैं। हार जीत प्रेम प्रीत दुश्मन और मीत। बिना भेद किए ही ये आँख पे बिठाते हैं। |
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ReplyDeleteमें दिया गया है। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
अश्रु मन और तन को हल्का भी कर देते हे
ReplyDeleteवाह अति सुन्दर
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