Friday 22 February 2019

दोहे, "सुगंधित फूल " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



 सुगंधित फूल
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जो ईश्वर को है भजेकरके पूजा जाप।
 उनके हरदम हैं हटेजीवन से संताप।।

 देवो को मत भूलनाबनकर तुम धनवान।
 हाथ बढ़ाकर कीजिएजग मैं तुम शुभ दान।।

 राधा तेरे द्वार परझोली रहे फैलाय।
 माँ  ऐसा वर दीजिएजन्म सफल हो जाय।।

 रिश्ते नाते जोड़नाहै जग का दस्तूर।
 अपनों को करना नहींकभी हृदय से दूर।।

 गुलशन को महका रहेसदा सुगंधित फूल।
 खुशहाली मिलती सदाखुशियों के अनुकूल।।

गंगा जी के घाट परउमड़ा जनसैलाब।
 जो सच्चे मन से भजेपूरे होते ख्वाब।।





2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर दोहे सखी
    सादर

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-02-2019) को "करना सही इलाज" (चर्चा अंक-3256) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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